सारणी से आप क्या समझते हैं ?
1. जब कई सारे अंगों को सुव्यवस्थित कर एक साथ प्रस्तुत किया जाता है, तब यह सारणी का रूप ले लेता है।
2. आंकड़ों को कुछ व्याख्यात्मक सूचनाओं के साथ पंक्तियों एवं स्तंभों में व्यवस्थित कर दिया जाए।
सारणी करण के कार्य को वर्गीकरण कैसे किया जाता है ?
सारणी करण के कार्य को एकविध,द्वविध, त्रिविध वर्गीकरण द्वारा किया जा सकता है जो कि आंकड़ों की विशिष्टताओं की संख्या पर निर्भर करता है ।
एक अच्छी सारणी में कौन बातें आवश्यक रूप से होनी चाहिए ?
(क) सारणी संख्या
(ख) शीर्षक
(ग) उप शीर्षक या स्तंभ शीर्षक
(घ) अवशीर्ष या पंक्ति शीर्षक
(च) सारणी का मुख्य भाग
(छ) माप की इकाई
(ज) स्रोत
(झ) टिप्पणी
(क) सारणी संख्या
1. किसी सारणी की संख्या उसकी पहचान के लिए निर्धारित की जाती है।
2. यदि कहीं एक से अधिक सारणी या प्रस्तुत की जाती है तो उन सारणियों की संख्या ही उन्हें एक दूसरे से अलग करती है।
3. इसी सारणी के ऊपर या शीर्षक की शुरुआत के साथ दिया जाता है।
4. सारणी संख्या आरोही क्रम में दी जाती है ।
(ख) शीर्षक
1. सारणी का शीर्षक सारणी की विषय वस्तु की व्याख्या करता है।
2. इसे बहुत ही स्पष्ट संक्षिप्त एवं सावधानी पूर्ण चुने गए शब्दों में होना चाहिए ताकि सारणी का भाव बिल्कुल स्पष्ट हो जिसमें अस्पष्टता ना हो इसे सारणी के बिल्कुल ऊपर तथा सारणी संख्या के ठीक बाद में या इसके ठीक नीचे दिया जाता है।
(ग) उप शीर्षक या स्तंभ शीर्षक
सारणी के प्रत्येक स्तंभ के ऊपर की ओर एक स्तंभ नाम दिया जाता है जो स्तंभ के अंतर्गत दी गई संख्याओं की व्याख्या करता है। इसे उपशीर्षक या स्तंभ शीर्षक कहते हैं।
(घ) अवशीर्ष या पंक्ति शीर्षक
1. उपशीर्षक या स्तंभ शीर्षक की भांति सारणी के प्रत्येक पंक्ति को भी एक शीर्षक दिया जाता है।
2. पंक्तियों के नाम को अवशीर्ष या अवशीर्ष मदें भी कहते हैं।
3. संपूर्ण बाये स्तंभ को अवशीर्ष स्तंभ कहा जाता है।
(च) सारणी का मुख्य भाग
1. सारणी का मुख्य भाग वास्तविक आंकड़े होते हैं ।
2. जिनमें किसी भी संख्या के आंकड़े की अवस्थिति उसकी पंक्ति एवं स्तंभ के अनुसार सुनिश्चित होती है ।
(छ) माप की इकाई
1. यदि पूरी सारणी में माप की इकाई सामान रहे, तो सारणी की संख्याओं (वास्तविक आकड़ो) को सदैव सारणी के शीर्षक के साथ लिखा जाना चाहिए।
2. यदि सारणी की पंक्तियों या स्तंभों के लिए भिन्न माप इकाइयां हो, तो उन्हीं कार्यों की चर्चा निश्चित रूप से 'उपशीर्षक' या 'अवशीर्ष' के साथ की जानी चाहिए।
3. यदि संख्याएं बहुत बड़ी है तो इन्हें पूर्णांक बना देना चाहिए और पूर्णांक बनाने की विधि का संकेत दिया जाना चाहिए ।
(ज) स्रोत
1. यह एक संक्षिप्त विवरण या वाक्यांश होता है जिसमें सारणी में प्रस्तुत किए गए आंकड़ों के स्रोत के बारे में बताया जाता है ।
2. यदि एक से अधिक स्रोत है, तो सभी स्रोतों के बारे में लिखा जाना चाहिए।
3. श्रोत को प्राय: सारणी के नीचे लिखा जाता है।
(झ) टिप्पणी
1. टिप्पणी किसी सारणी का अंतिम अंग होता है।
2. पाद टिप्पणी के अंतर्गत किसी सारणी के आंकड़ों की विषय-वस्तु की उन विशिष्टताओं के बारे में व्याख्या की जाती है, जो की स्वत: स्पष्ट नहीं होती है और न ही पहले कहीं उनको व्याख्या की गई होती है।