Knowledge Sparks Part 2

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[28/2, 8:13 AM] +91 99738 47484: *28 फ़रवरी की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ👉* 1522 – स्वीडन में जनता ने डेनमार्क के वर्चस्व के विरुद्ध संघर्ष का आरंभ किया। 1704 - भारतीयों ने दीरफील्ड मास पर हमला किया 40 मारे गए और 100 का अपहरण। 1728 - पालखेड की लड़ाई में मराठा पेशवा बाजीराव प्रतहम ने दक्कन के मुगल गवर्नर, कमर-उद-दीन खान, असिफ याह, निजाम-उल-मुल्क को पराजित किया। 1749 - हेनरी फिल्डिंग्स के पहले संस्करण "टॉम जोन्स" का प्रकाशन किया गया। 1759 - पोप क्लेमेंट XIII ने बाइबल को विभिन्न भाषाओं में अनुवाद करने की इजाजत दी। 1767 – किंग ताकसिन थाईलैंड के राजा बने तथा उन्होंने थोनबुरी को अपनी राजधानी बनाया। 1813 – रूस और फ्रांस के बीच रानजैतिक व सैनिक संधि हुई। 1836 – स्पेन ने मेक्सिको की स्वतंत्रता को मान्यता दी। 1847 – अमेरिका ने सकरामेंटो के युद्ध में मेक्सिको को पराजित किया। 1885 – भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का पहला अधिवेशन बंबई में हुआ, जिसमें 72 प्रतिनिधि शामिल हुए। 1896 – भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में पहली बार वंदेमातरम गाया गया। 1906 – दक्षिण अमेरिकी देश इक्व...

उमय्यद और राजतंत्र का केंद्रीयकरण PART 4 (इस्लाम का उदय और विस्तार)



चौथे खलीफा अली (656-661) की मृत्यु कैसे हुई थी ?
एक खरजी द्वारा फूफा में एक मस्जिद में अली की हत्या कर दी गई।

चौथे खलीफा अली (656-661) की मृत्यु के बाद किन्हें अगला खलीफा घोषित किया ?
अली की मृत्यु के बाद, उसके अनुयायियों ने अली के पुत्र हुसैन को अगले खलीफा के रूप में घोषित किया।

उमय्यद वंश की स्थापना कब और किसके द्वारा किया गया ?
मुआविया ने 661 में अपने आप को खलीफा घोषित कर दिया और उमय्यद वंश की स्थापना की,जो 750 तक चलता रहा।

किस वंश के बाद जन्म उत्तराधिकारी शासन स्थापित हुआ ?
उमय्यद वंश 

उमय्यद वंश की स्थापना के बाद क्या-क्या परिवर्तन आए ?
बड़े-बड़े क्षेत्रों पर विजय प्राप्त होने से मदीना में स्थापित खिलाफत नष्ट हो गई और उसका स्थान बढ़ते हुए सत्तावादी राजतंत्र ने ले लिया।
पहले उमय्यद खलीफा मुआविया ने दमिश्क को अपनी राजधानी बनाया और फिर बाइजेंटाइन साम्राज्य की राजधानी और प्रशासनिक संस्थाओं को अपना लिया।
उसने वंशिका तो उत्तराधिकारी की परंपरा भी प्रारंभ की और प्रमुख मुसलमानों को मना लिया कि वे उसके पुत्र को उसका वारिस स्वीकार करें।

उमय्यद वंश कितने वर्षों तक शासन किया ?
90 वर्षों तक

अब्बासी कितने वर्षों तक शासन किया ?
दो शताब्दियों तक

उमय्यद राज्य किस तरह का शासन व्यवस्था था ?
1. उमय्यद राज्य अब एक साम्राज्यिक शक्ति बन चुका था।
2. इस्लाम के आधारित पर शासन व्यवस्था थी।
शासन - कला और सीरियाई सैनिकों की वफादारी के बल पर चल रहा था।
3. प्रशासन में ईसाई सलाहकार और इसके अलावा ज़रतुश्त लिपिक और अधिकारी भी शामिल थे।
4. इस्लाम उमय्यद शासन को वैधता प्रदान करता रहा।
उमय्यद हमेशा एकता के लिए अनुरोध करते रहे और विद्रोहों को इस्लाम के नाम पर दबाते रहे।
5. उन्होंने अपनी अरबी समाजिक पहचान बनाएं रखी।

अब्द - अल मलिक और उसके उत्तराधिकारीयों के शासनकाल में किन दो पहचानो पर मजबूती से बल दिया जाता रहा।
अरब और इस्लाम

अब्द - अल मलिक ने जो नीतियां अपनाई, उनका मुख्य उद्देश्य क्या था ? 
1. अरबी को प्रशासन की भाषा के रूप में अपनाना,
2. इस्लामी सिक्कों को जारी करना।

खिलाफत मे जो सोने की दिनार और चांदी की दिरहम चल रहे थे, उसकी विशेषता क्या थें ?

रोमन और ईरानी सिक्को (दीनारियस और द्राख्मा) की अनुकृतियां थे, जिन पर सलीब और अग्नि-वेदी के चिन्ह बने होते थे और यूनानी और पहलवी (ईरान की भाषा) भाषा में लेक अंकित होते थे ।

अब्द - अल मलिक के द्वारा, जो सोने की दिनार और चांदी की दिरहम चल रहे थे, उन सिक्कों में क्या-क्या बदलाव हुए ?
1. जिन पर सलीब और अग्नि-वेदी के चिन्ह बने होते थे और यूनानी और पहलवी (ईरान की भाषा) भाषा में लेक अंकित होते थे ।
2. इन चिन्हों को हटा दिया गया और सिक्कों पर अब अरबी भाषा में लिखा गया।
3. अब्द अल-मलिक ने जेरूसलम में डोम ऑफ रॉक बनवाकर अरब-इस्लामी पहचान के विकास में भी एक अत्यंत प्रदर्शनी योगदान दिया।



1. पथरीली टीले के ऊपर अब्द अल - मलिक द्वारा निर्मित चट्टान का गुंबद।
2. इस्लामी वास्तुकला का यह पहला बड़ा नमूना है।
3. जेरूसलम नगर की मुस्लिम संस्कृति के प्रतीक के रूप में इस स्मारक का निर्माण किया गया।
4. पैगम्बर मोहम्मद की स्वर्ग की ओर की रात्रि यात्रा (मिराज) से यह स्मारक जुड़ गया ।
5. यह इसका रहस्यमय महत्व है।


 

1. बाइज़ेटाइन का सोने का बना सॉलिडस, जिसमें सम्राट हेराक्लियस वह उसके दो पुत्र को दिखाया गया।
2. बाइज़ेटाइन मुद्रा प्रणाली से अरबी इस्लामी प्रणाली में परिवर्तन।



दूसरे सिक्के पर दिखाया गया लंबे बालों व दाढ़ी वाला खलीफा परंपरिक अरबी  कपड़े पहने हुए हैं। उसके हाथ में तलवार है। उस समय की मुसलमानों की जो तस्वीरें हमें मिली है, उनमें यह पहली है।

अब्द अल - मलिक द्वारा अपने नाम व रूप के साथ ढ़ाला गया सोने का दीनार।



बदला हुआ दिनार जिस पर केवल लिखावट मिलती है।इस पर कलिमा गढ़ी हुई है।अल्लाह के सिवाय कोई अन्य खुदा नहीं है और अल्लाह का कोई शरीक नहीं है।


1. यह सिक्के अपने में खास है क्योंकि बाद में कला व शिल्प में प्रणियों के प्रतिरूपण के प्रति विरोध होने लगा।
2. अब्द अल-मलिक के मौद्रिक सुधार उसके राज्य वित्त के पुनर्गठन से जुड़े हुए थे। 
3. अब्द अल-मलिक के सिक्के ढ़ालने की प्रक्रिया इतनी सफल थी कि सिक्के के प्रारूप व वजन के अनुसार ही कई शताब्दियों तक सिक्के ढ़ाले जाते रहे।




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