1. मध्यकाल के इस्लामी समाज में ईसाइयों को क्या समझाया जाता था और क्यों ?मध्य काल के सलामी समाजों में ईसाइयों को पुस्तक वाले लोग ( अहल अल-किताब ) समझा जाता था, क्योंकि उनके पास उनका अपना धर्म ग्रंथ ( न्यू टेस्टामेंट अथवा इंजील ) था ।
2. किस ईसाइयों की सुरक्षा मुस्लिम राज्यों में होती थी ?
व्यापारियों तीर्थयात्रियों राजदूत और यात्रियों के रूप में मुस्लिम राज्यों में आने वाले ईसाइयों को सुरक्षा ( अमन ) प्रदान की जाती थी ।
3. अरबों ने जेरूसलम को कब जीत लिया था ?
638 ईस्वी में अरबों ने जेरूसलम को जीत लिया था ।
4. ईसाइयों की कल्पना मे ईशा के रूप में क्या विद्यमान थी ?
ईसाइयों की कल्पना में ईशा के क्रूसारोपण और पुनरुज्जीवन के स्थान के रूप में हमेशा विद्यमान थी, जो ईसाई को यूरोप में मुस्लिम जगत की छवि के निर्माण में यह एक महत्वपूर्ण तत्व था।
5. ईसाइयों के मुस्लिम जगत के प्रति कब शत्रुता अधिक स्पष्ट हो गई ?
11वीं शताब्दी में मुस्लिम जगत के प्रति शत्रुता ईसाइयों को अधिक स्पष्ट हो गई ।
6. किन-किन समुदायों को ईसाई में धर्मांतरण करना पड़ा ?
नार्मनों , हंगरीवासियों और कुछ स्लाव लोगों कोई ईसाई के रूप में धर्मांतरण करना पड़ा ।
7. ईसाई और इस्लामी जगत के बीच शत्रुता बढ़ने का मुख्य कारण क्या था ?
11वीं शताब्दी में पश्चिमी यूरोप की सामाजिक और आर्थिक संगठनों में भी परिवर्तन हो गया था।
8. 11 वी शताब्दियों में सामंतो, पादरी और योद्धा पर सांस्कृतिक बदलाव लाने के लिए क्या प्रयास कर रहे थे ?
पादरी और योद्धा वर्ग राजनीतिक स्थिरता और कृषि तथा व्यापार पर आधारित आर्थिक विकास सुनिश्चित करने का प्रयत्न कर रहे थे ।
9. किन घटना को ईश्वरीय शांति आंदोलन के द्वारा रोका गया था ?
प्रतिस्पर्धी सामंती राज्यों के बीच सैनिक मुठभेड़ की संभावनाओं और लूटमार पर आधारित अर्थव्यवस्था के पुनर्उदय को ईश्वरीय शांति आंदोलन द्वारा रोका गया था ।
10. कैसे लोगों को और किन अवधियों को सभी प्रकार के सैनिक हिंसा वर्जित की गई थी ?
पूजा स्थलों के निकट ,चर्च के कैलेंडर में पवित्र माने जाने वाली कुछ अवधियों और कुछ कमजोर सामाजिक समूह जैसे पादरियों और आम लोगों के खिलाफ सभी प्रकार की सैनिक हिंसा वर्जित थी ।
11. ईश्वरीय शांति आंदोलन का प्रभाव सामंती समाज पर कैसे पड़ा ?
1. ईश्वरीय शांति आंदोलन में सामंती समाज की आक्रमणकारी प्रवृत्तियों को ईसाई जगत से हटाकर ईश्वर के शत्रु की ओर मोड़ दिया ।
2. इससे एक ऐसे वातावरण का निर्माण हो गया जिसमे अविश्वास ( विधर्मियो ) के खिलाफ लड़ाई न केवल उचित अपितु प्रशंसनीय समझी जाने लगी।
12. बगदाद के सरजुक सुल्तान मलिक शाह की मृत्यु कब हुई थी ?
1092 ईस्वी में
13. बगदाद के सरजुक सुल्तान मलिक शाह की मृत्यु का प्रभाव बगदाद पर क्या पड़ा ?
1. उनके साम्राज्य का विघटन हो गया ।
2. इससे बाइज़ेंटाइन सम्राट एलेक्सियस प्रथम को एशिया माइनर और उत्तरी सीरिया को फिर से हथियाने का मौका मिल गया ।
3. पोप अर्बन द्वितीय के लिए ईसाई धर्म की जीवट प्रवृत्ति को फिर से जीवित करने का एक अवसर था।
14. 1095 ईस्वी में, किन के द्वारा ईश्वर के नाम पर युद्ध के लिए आवाहन किया ?
पोप बाइज़ेंटाइन सम्राट के साथ मिलकर पुण्य देश ( होली लैंड ) को मुक्त कराने के लिए ईश्वर के नाम पर युद्ध के लिए आवाहन किया।
15. धर्मयुद्ध* किस युद्ध को कहा जाता है ?
जेरूसलम पर अधिकार करने के लिए ईसाइयों द्वारा सल्जुक तुर्को के लिए विरुद्ध लड़े जाने वाले युद्ध को धर्मयुद्ध या क्रसेड्स नाम से जाना जाता है ।
16. प्रथम धर्मयुद्ध कब और किन देशो के द्वारा तथा इसका परिणाम स्वरूप क्या हुआ ?
1. प्रथम धर्म युद्ध (1098-1099 ) में, फ्रांस और इटली के सैनिकों ने सीरिया में एंटीओक और जेरूसलम पर कब्जा कर लिया।
2. परिणाम स्वरूप शहर में मुसलमानों और यहूदियों के विद्वेष पूर्ण हत्याएं की गई और शहर पर विजय प्राप्त कर ले गई , जिसके बारे में ईसाईयों और मुसलमानों दोनों ने काफी लिखा है ।
17. मुस्लिम लेखकों के द्वारा ईसाइयों को क्या कहा जाता था ?
मुस्लिम लेखकों ने ईसाइयों को रंगीत अथवा इफ्रिंजी कहा जाता था ।
18. सीरिया - फिलिस्तीन के क्षेत्र में जल्दी ही धर्मयुद्ध जीते गए कितने राज्य स्थापित किए गए ?
चार राज्य स्थापित किए।
19. आउटरैमर प्रदेश किसे कहा जाता था ?
आउटरैमर प्रदेश समुद्रीपारीय भूमि को कहा जाता था ।
20. तुर्को ने एडेस्सा पर कब्जा कब किया ?
1144 ईस्वी
21. पोप ने एक दूसरे धर्मयुद्ध के लिए कब अपील की ?
1145-1149 ईस्वी में
22. किन-किन देशों की सेना दमिश्क पर कब्जा करने की कोशिश की , लेकिन उन्हें हराकर घर लौटने के लिए मजबूर कर दिया गया ?
जर्मन और फ्रांसीसी सेना
23. ईसाई शासकों ने किस लिए लड़ाई करना शुरू कर दिया ?
1. ईसाई शासकों ने विलासिता से जीना
2. नए-नए इलाकों के लिए
24. जेरूसलम पर युद्ध का प्रभाव कैसे पड़ा ?
1. सलाह अल-दीन ( सलादीन ) ने एक मिस्री-सीरियाई साम्राज्य स्थापित किया और ईसाईयों के विरुद्ध धर्म युद्ध करने का आव्हान किया और उन्हें 1187 में पराजित कर दिया ।
2. सलादीन ने पहले धर्म युद्ध के लगभग एक शताब्दी बाद जेरूसलम पर फिर से कब्जा कर लिया ।
25. जेरूसलम कैसे एक बार फिर मुस्लिम शहर बन गया ?
1. सलाह अल-दीन ( सलादीन ) ने एक मिस्री-सीरियाई साम्राज्य स्थापित किया और ईसाईयों के विरुद्ध धर्म युद्ध करने का आव्हान किया और उन्हें 1187 में पराजित कर दिया ।
2. बहुत-से गिरजाघरो को मस्जिदों में बदल दिया गया ।
26. जेरूसलम शहर को छीन जाने का क्या प्रभाव पड़ा ?
जेरूसलम शहर को छीन जाने के कारण 1189 में तीसरे धर्मयुद्ध के लिए प्रोत्साहन मिला ।
27. तीसरे धर्मयुद्ध का क्या परिणाम हुआ ?
1. धर्मयुद्ध करने वाले फिलिस्तीन में कुछ तटवर्ती शहरों और ईसाइयों तीर्थ यात्रियों के लिए जेरूसलम में मुक्त रूप से प्रवेश के सिवाय और कुछ प्राप्त नहीं कर सके ।
2. मिस्र के शासकों, मामलुकोंने अंततः 1291 में धर्मयुद्ध करने वाले सभी ईसाइयों को समूचे फिलिस्तीन से बाहर निकाल दिया ।
3. धीरे-धीरे यूरोप की इस्लाम में सैनिक दिलचस्पी समाप्त हो गई और उसका ध्यान अपने आंतरिक राजनीतिक और सांस्कृतिक विकास की ओर केंद्रित हो गया ।
28. धर्म युद्ध ने ईसाई - मुस्लिम संबंधों के दो पहलू पर स्थायी प्रभाव छोड़ा । वह क्या था ?
पहला था :- मुस्लिम राज्यों का अपने स्थाई प्रजा जनों की ओर कठोर रुख, जो लड़ाईयों की कड़वी यादों और मिली-जुली आबादी वाले इलाकों में सुरक्षा की जरूरतों का परिणाम था।
दूसरा था :-मुस्लिम सप्ताह की बहाली के बाद भी पूर्व और पश्चिम के बीच व्यापार में इटली के व्यापारिक समुदायों ( पीसा, जेनोवा और वेनिस का अधिक प्रभाव )