1. शहरों के अनेक रूप क्या-क्या थे ?
1. प्रशासन के केंद्र के रूप में,
2. वाणिज्यिक - व्यापारिक गतिविधियों के रूप में,
3. दस्तकारी के लिए,
4. तीर्थ यात्रा के लिए,
5. मंदिर नगर के कारण महत्वपूर्ण थे।
2. शहरों का विकास किस-कारण से हुआ ?
विदेशी व्यापार के कारण बंदरगाह (पत्तन ) शहरों का विकास हुआ ।
3. प्रशासनिक नगर की विशेषताएं बताइए ।
1.यह नगर मुख्य रूप से शासक वर्ग के सत्ता केन्द्र अर्थात राजधानियां थीं ।
2. इन शहरों में अनेक राजमहल होते थे । इसमें शासक एवं उनके परिवार, अधिकारी, नौकर-चाकर, सैनिक रहते थे ।
3. राज महल में सभा कक्ष बने होते थे, जहां से शासक (राजा) द्वारा अपनी प्रजा एवं अधीनस्थ अधिकारियों के लिए आदेश जारी किया जाता था ।
4. शहरों में बाजार हुआ करता था जहां नगर निवासियों के लिए अनाज, कपड़ा, आभूषण एवं दैनिक आवश्यकताओं की अन्य वस्तुओं की बिक्री होती थी ।
5. उदाहरण स्वरूप :-भारत में कांचीपुरम, मदुरई, तंजावूर तथा उत्तरी भारत में दिल्ली, आगरा, लाहौर आदि शहरों के नाम हैं ।
4. मंदिर क्यों बनाया जाता था। ?
दक्षिण भारत में शासक, व्यापारियों एवं धनाढ्य लोगों द्वारा देवी-देवताओं के प्रति अपनी श्रद्धा, आस्था एवं भक्ति भाव को प्रकट करने के लिए मंदिर बनाया जाता था ।
5. मंदिर किस-प्रकार से वाणिज्य-व्यापार में प्रोत्साहन दिया ?
1. मंदिरों के पास अपार धन-संपत्ति जमा हो गया था । 2. मंदिरों के कर्ता-धर्ता ने मंदिर के धन को व्यापारियों को ऋण देने में लगाया ।
3. इस प्रकार इन पवित्र केंद्रों के क्षेत्र विशेष के वाणिज्य-व्यापार को प्रोत्साहन करने में कड़ी के रूप में काम किया ।
6. मंदिरों के निकट लोग क्यों बसते गए ?
1. क्योंकि उस समय मंदिर ही बहुमूल्य वस्तु के सबसे बड़े उपभोक्ता थे ।
2. धीरे-धीरे बड़ी संख्या में शिल्पकार (कारीगर) एवं व्यापारी मंदिरों की जरूरत को पूरा करने के लिए मंदिर के निकट बसते गये ।
3. दक्षिण भारत में आठवीं से बारहवीं शताब्दी के बीच तंजावूर, कांचीपुरम, तिरुपति आदि मंदिर नगरों का विकास इसी तरह से हुआ ।
7. तीर्थ स्थलों का महत्व क्यों बढ़ा तथा तीर्थ स्थल के कारण मंदिर का विकास हुआ, उसका नाम बताएं ?
1. भक्ति आंदोलन के विस्तार के कारण तीर्थ स्थलों का महत्व बढ़ा ।
2. धार्मिक आस्था के पवित्र स्थलों में विभिन्न क्षेत्रों से लोग पूजा-पाठ एवं दर्शन के लिए आया करते थे।
3. मथुरा, काशी, वृंदावन (उत्तर प्रदेश),अजमेर, माउंट आबू (राजस्थान),सोमनाथ (गुजरात) आदि शहर तीर्थ स्थल के रूप में प्रसिद्ध था ।
8. व्यापार के कारण जो नगर का विकास हुआ, उसका नाम बताएं ।
1. कुछ ग्रामीण बस्तियां जो अपने खास एवं उत्पादित वस्तुओं के लिए व्यापार के प्रमुख केंद्र के रूप में उभरीं, वे धीरे-धीरे शहरी विकास के केंद्र बन गए ।
2. इन मंदिरों का विकास व्यापार बाजार के केंद्र के रूप में हुआ ।
3. कुछ शहर खास वस्तु के व्यापार के लिए विशेष बाजार समझे जाते थे । क्योंकि इनका उत्पादन स्थानीय स्तर पर होता था ।
4. उदाहरणस्वरूप :- बुरहानपुर (कपास), अहमदाबाद (कपड़ा), बयाना (नील), कांचीपुरम (सूती कपड़ा), कैम्बे (रत्न बाजार) आदि ।
9. बंदरगाह का विकास क्यों किया गया ?
शहरों के तैयार माल को दूसरे देशों में ले जाने के लिए समुंद्र के तटीय क्षेत्रों में शासकों एवं व्यापारियों द्वारा बन्दरगाहों का विकास किया गया ।
10. कौन-कौन समुदाय के कारण तटीय बस्तियों का महत्व बढ़ा ?
अंजुमन, मनीग्रामम्, नानादेशी जैसे व्यापारिक समुदाय के कारण बस्तियों का महत्व बढ़ा ।
11. शासकों के द्वारा किस - प्रकार से विदेशियों को व्यापार करने के लिए प्रोत्साहन किया ?
शासकों के विशेष फरमानों के द्वारा विदेशियों (यहूदियों, ईसाईयों,अरबी लोगों) को तटवर्ती शहरों में बसने एवं व्यापार करने की छूट दी गई ।
12. जैन व्यापारियों का बोलबाला किस राज्य में था ?
गुजरात, जो पश्चिम भारत का प्रमुख व्यापारिक केंद्र था।
13. मध्यकालीन भारत में बंदरगाह के रूप में कौन-कौन शहर व्यापारिक केंद्र के रूप में फले-फुले ?
भड़ौच एवं सूरत
14. पड़ोसी देशों में कौन-कौन देशों के साथ व्यापारिक संबंध रहा था ?
भारत के पश्चिम तट का अरब, फारस की खाड़ी और उसके आगे के देशों के साथ व्यापारिक संबंध रहा।
15. दसवीं से बारहवीं शताब्दीयों के बीच कौन-कौन शहर बंदरगाह के रूप में विकास हुआ ?
दसवीं से बारहवीं शताब्दीयों के बीच में थाणा, गोवा, भटकर, मंगलोर, कोचीन जैसे बंदरगाहों का विकास लंबी दूरी के व्यापार के कारण हुआ ।
16. दक्षिण पूर्वी व्यापार का मुख्य द्वार कौन-कौन प्रमुख बंदरगाह था ?
हुगली, मोटूपल्ली, मसूलीपट्टनम, दक्षिण पूर्वी व्यापार का मुख्य द्वार बन गया ।
17. कर्नाटक एवं केरल के तटीय शहरों का महत्व किस कारण से बढ़ा ?
अरब के घोड़े के व्यापारियों के कारण
18. यूरोप व्यापारियों के आगमन के कारण कौन-कौन नगर का विकास हुआ ?
यूरोप व्यापारियों की आगमन के साथ पश्चिम एवं पूर्व सागरतट अनेक नए पत्तन और नगर विकसित हुए, जो धीरे-धीरे उनके सैनिक एवं प्रशासनिक केंद्रों में बदल गए। मुंबई, कोलकाता, मद्रास इसके प्रमुख उदाहरण थे।
19. शहरी परिदृश्य मध्यकालीन भारत में किस प्रकार होता था ?
1. अधिकांश हर एक चहारदिवारी से घिरा होता था । इसमें एक या अधिक प्रवेश द्वार होते थे ।
2. शहर की प्रमुख आबादी इस चहारदिवारी के अंदर निवास करती थी । सुनियोजित ढ़ंग से बसाये गए शहरों में बाजार अलग से बनाये जाते थे ।
3. कई बजार किसी खास वस्तु के व्यापार के लिए विशिष्ट रुप से जाने जाते थे । शहर में कई मोहल्ले बंटे होते थे ।
4. अधिकतर मुहल्ले किसी खास जाति या उत्पादक समुदाय के नाम से जाने जाते थे ।
5. उदाहरण के लिए :-कुंजड़ी मुहल्ला (सब्जी बेचने वाले), मोची बाड़ा (जूते बनाने वाले), मोहल्ला जरगरान (सुनार), कूचा रंगरेज (कपड़े रंगने वाले) ।
20. शहरों में किस प्रकार के लोग रहते थे ?
1. शहरों में विभिन्न जाति, धर्म, व्यवसाय के लोग रहते थे ।शासक, अमीर एवं व्यापारी शहरों के सबसे धनी लोग थे ।शहर के अधिकतर लोग मध्यम वर्ग के थे।
2. इस वर्ग में छोटे मनसबदार, कर्मचारी, दुकानदार, साहूकार, चिकित्सक, चित्रकार, संगीतकार, सुलेखक (पांडु लिपि की मूल प्रति लिखने वाला) शामिल थे।
3. धार्मिक कार्यों से जुड़े लोग पंडित, उलेमा, सूफी संत आदि शहरों के निवासी थे। इन्हे आमतौर पर राज्य से इनाम के रूप में कर मुक्त भूमि अनुदान में दिया जाता था , जो शहरों की आसपास होती थी ।
4. इसके अलावा सैनिक, नौकर, गुलाम, कारीगर (शिल्पकार) इत्यादि निन्न स्तर के लोग भी शहरों में निवास करते थे ।
5. यह लोग कुछ वर्ग के लोगों की यहां काम करके अपनी आजीविका चलाते थे ।